एक डाकिये की नौकरी के अन्तिम दिन एक युवा गृहणी ने उसका अभिवादन किया, उसे घर के अन्दर नाश्ते के लिए बुलाया। खाने के वह उसे बिस्तर में ले जाकर सहवास किया। उसके बाद उसने उसे 100 रूपये दिए।
“हे भगवान,” डाकिये ने कहा, “यो सब तो बहुत अच्छा रहा, परन्तु यह सौ रूपये किसलिए?”
“अच्छा, ये,” उसने उत्तर दिया, “क्योंकि आप सेवानिवृत्त हो रहे हैं, तो मैंने अपने पति से पूछा था कि आपके लिए क्या करना चाहिए, ‘फक हिम… उसे सौ रूपये दे दो।’ नाश्ते का विचार मेरा था।”
“हे भगवान,” डाकिये ने कहा, “यो सब तो बहुत अच्छा रहा, परन्तु यह सौ रूपये किसलिए?”
“अच्छा, ये,” उसने उत्तर दिया, “क्योंकि आप सेवानिवृत्त हो रहे हैं, तो मैंने अपने पति से पूछा था कि आपके लिए क्या करना चाहिए, ‘फक हिम… उसे सौ रूपये दे दो।’ नाश्ते का विचार मेरा था।”
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