Tuesday, 12 June 2012

चोदने का मज़ा

कुछ महिलाएँ अपने-अपने पति से त्रस्त थीं। उनका कहना था कि चोदने का मज़ा सिर्फ़ पुरुष लेते हैं, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम आनंद आता है। पुरुष अपनी सुविधानुसार महिलाओं को चोदते हैं, लेकिन महिलाओं उतना आनंद नहीं आता।

उन्होंने एक समूह बनाया और समाज कि वरिष्ठ महिलाओं के पास गईं। अब ये कैसे तय किया जाए कि पुरुषों को कितना आनंद आता है, और महिलाओं को कितना। इस पर चर्चा चल ही रही थी कि पारो की कान में खुजली हुई। पारो ने अपनी अंगुली अपनी कान में घुसाकर घुमाई। मारे आनंद के उसकी आँखें बंद होने लगीं। कुछ देर बाद जब उसके कान की खुजली ख़त्म हो गई तो वह फिर चर्चा में व्यस्त हो गई।

संतो मौसी बड़ी देर से पारो की गतिविधि पर नज़र रखे हुए थी। उन्होंने पारो को स्टेज पर बुलाया और पूछा, "क्यों रे छोरी, तू इतणी देर सै काण में अंगुली के दे रई थी?"

पारो ने कहा, "मौसी मेरे कान में खुजली आ रही थी, इसलिए में कान में अंगुली घुसा रही थी"

संतो मौसी ने पूछा, "मज़ा किसको आया, तेरी अंगुली को या काण को?"

पारो ने कहा, "कान को"

संतो मौसी ने कहा, "चलो छोरियों हो गया फ़ैसला, जैसे अंगुली डालने से काण को ज़्यादा मज़ा आवे है उसी तरह लंड डालने से चूत को ज़्यादा मज़ा आवे है"

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