Wednesday 6 June 2012

चीरा कहीं और लगबा दिया

गोबर की शादी बहुत ही बचपन में हो गयी।
वह शादी का मतलब नहीं समझता थ।
पहली रात में गोबर ने पत्नी के साथ कुछ नहीं किया।
सुबाह जब पत्नी की सहेली ने पूछा तो उसने सच-सच बता दिया।
सहेली ने सलाह दिया कि आज़ रात में तुम अपनी चुची खोल कर सोना,
जब गोबर देखेगा तो वो सब कुछ करेगा जो तुम चाहती हो।
पत्नी रात में अपनी चूची खोल कर लेट गयी।
गोबर ने कभी चुची नहीं देखा था।
छोटे आकार की उठान को देखते ही बोला - बाप रे बाप
ईसे तो गूरा (एक तरह का घाव) हो गया है,
और निपल देखकर बोला - अरे यह तो पक भी गया है
ओपरेशन करवना पड़ेगा।
दर्द होने के दर से शिर्फ़ छू कर छोड़ दिया।
सुबह में सहेली सारी बात जानकर सलाह दी कि
आज़ रात तुम अपनी चूत खोल कर सोना,
देखते ही गोबर पागल हो जयगा। पत्नी ने वही सब किया।
गोबर ने कभी चूत भी नहीं देखी थी।
चूत देखते ही बोला, बाप रे बाप ईसका बाप तो पागल हो गया है,
गूरा तो कहीं पर हुआ है और चीरा कहीं और लगबा दिया।

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