Monday, 18 June 2012

लेट्रिन का डिब्बा

खुले रेगिस्तान मेँ भीषण गर्मी से परेशान एक मरियल सा व्यक्ति रह रह कर करुण आहेँ भर रहा था आहोँ के सिग्नल इतने प्रबल थे कि भगवान को उसके पास आकर उससे वरदान माँगने को कहा । काफी देर बाद जब विश्वास आगया तो उस मरियल ने कहा प्रभु भीषण गर्मी , प्यास और तेज धूप ने हलकान कर दिया है अतः आप मुझे गले तक पानी से भरे ठण्डे व कम प्रकाश वाले स्थान मेँ भेज दो । एवमस्तु कह कर प्रभु मुड़े ही थे कि उस बंदे ने पुकार लगायी प्रभु एक कृपा और कर देँ । क्या । अरसा गुजर गया चूत के दर्शन नहीँ हुए । आप ऐसा कुछ कर देँ कि मैँ अब आगे चूतोँ के दर्शन करता रहूँ । प्रभु ने पूछा कि क्या तीनो बातेँ एक साथ ही चाहते हो । और इधर उसने हाँ कहा उधर प्रभु ने उसे एक गर्ल्स हॉस्टल के लेट्रिन का डिब्बा बना दिया 

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