एक बार की बात है एक सरदार जी ने एक नौकर रखा घर के काम काज के लिये
फ़िर जब वो अपनी पत्नी के साथ हम्बिस्तर होते थे तो फ़ाटक मे एक छेद था जिसमे से उनकी लडकी और वो नौकर छुप-छुप कर दोनो का खेल देखा करते थे एक दिन सरदार की लडकी ने अपने मम्मी पापा से पूछा कि आप लोग कमरे मे क्या करते हो तो उस पर सरदार ने कहा कि हम लोग चीनी की बोरी खोलतें है बेटा तो एक दिन बेटी नौकर से कहा कि जो खेल मम्मी पापा खेलतें है क्या वो हम भी खेल सकतें है तो उस पर नौकर ने कहा क्युं नही बिल्कुल खेला जा सकता है चलो खेलतें है और दोनो ने चुदाइ का खेल खेला एक दिन सरदा जी को पता चला तो नौकर को बुला कर कहने लगे कि जब एक चीनी की बोरी खुली थी तो उसी मे से चीनी खा लेना चाहिये था नयी बोरी क्युं खोल दी तैने!
फ़िर जब वो अपनी पत्नी के साथ हम्बिस्तर होते थे तो फ़ाटक मे एक छेद था जिसमे से उनकी लडकी और वो नौकर छुप-छुप कर दोनो का खेल देखा करते थे एक दिन सरदार की लडकी ने अपने मम्मी पापा से पूछा कि आप लोग कमरे मे क्या करते हो तो उस पर सरदार ने कहा कि हम लोग चीनी की बोरी खोलतें है बेटा तो एक दिन बेटी नौकर से कहा कि जो खेल मम्मी पापा खेलतें है क्या वो हम भी खेल सकतें है तो उस पर नौकर ने कहा क्युं नही बिल्कुल खेला जा सकता है चलो खेलतें है और दोनो ने चुदाइ का खेल खेला एक दिन सरदा जी को पता चला तो नौकर को बुला कर कहने लगे कि जब एक चीनी की बोरी खुली थी तो उसी मे से चीनी खा लेना चाहिये था नयी बोरी क्युं खोल दी तैने!
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